1.
बेतरतीब नफ़रत...
करीने से सजी मोहब्बत... अच्छी होती है
उसने कहा...
दोनों अंजाम तक पहुंचते हैं...
चुनना क्या है...
ये फैसला आप पर...
2.
उलझनें इतनी न हों ज़िंदगी में
सही और ग़लत पास-पास दिखे
इतना तो रहे कि...
कह सकें...
ये सही है और ये ग़लत
3.
दर्ज हो रहा है सब
ये सोचकर क्या लिखोगे नहीं...
कहोगे नहीं...
चलो...ठीक है
सुनो तो सही...
तुम्हारे उजाले में
हर रोज़ कोई सेंधमारी कर रहा है
आग चूल्हों से नहीं उठ रही...
कोई घर जल रहा है...
आग चूल्हों से नहीं उठ रही...
ReplyDeleteकोई घर जल रहा है...
धुआँ उठा था दीवाने के जलते घर से सारी रात
लेकिन वो खामोश रहे दुनिया के डर से सारी रात
उलझनें इतनी न हों ज़िंदगी में
ReplyDeleteसही और ग़लत पास-पास दिखे
इतना तो रहे कि...
कह सकें...
ये सही है और ये ग़लत
बेहतरीन है...
बेतरतीब नफ़रत...
ReplyDeleteकरीने से सजी मोहब्बत...
अच्छी होती है