Friday, December 3, 2010

तुम्हारे लिए कुछ...

1.
कुछ उदास रातें
कुछ उदास दिन
कुछ उदास हंसी
कुछ उदास उम्मीद
शाखों से टूटीं हैं
तुम्हारे मुस्कुराते चेहरे ने
फिर से खिला दी हैं नई कोपलें

2.
तुम अब मेरे साथ हो
अब उन अंधेरों को
चिढ़ा सकता हूं मैं...
जो तुम्हारे दूर होने पर
भरते थे अक्सर
मेरी ज़िंदगी में स्याह रंग

3.
तुम्हारे जाने के बाद
घर कितना खाली लगता है
सारी खुशबू, सारी सांसें
पल भर में बुझ जाती हैं
ज़िंदगी, बड़ी बेहिस नज़र आती है?

3 comments:

  1. beautiful words....frm the bottom of heart.vry romantic.

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  3. तुम अब मेरे साथ हो
    अब उन अंधेरों को
    चिढ़ा सकता हूं मैं...
    जो तुम्हारे दूर होने पर
    भरते थे अक्सर
    मेरी ज़िंदगी में स्याह रंग

    बेहतरीन...आप कुछ जवाब लिखने का मौका नहीं दे रहे...नि:शब्द

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