Monday, November 17, 2014

"मेरा वाला क्रीम!"


शायद आपको याद हो टीवी पर पेंट का एक विज्ञापन आया करता था, जिसमें एक महिला अपने घर के लिए अपनी पसंद के क्रीम कलर को खोजती रहती थी और जैसे ही उसके पसंद का रंग दिखता था वो चिल्लाती थी "मेरा वाला क्रीम।" आजकल "ये मेरा वाला क्रीम विचारधारा" फेसबुक की आभासी गली और मुहल्लों में घूम रही है। अलग अलग मुहल्ले के लोग अलग अलग जगहों पर मिलते हैं, भिड़ते हैं, चिढ़ते हैं और धारा बस एक होती है "मेरा वाला क्रीम"
दक्षिणी भक्त "साहेबवाली" क्रीम को लेकर चकमक है। बाएंहत्था कॉमरेड मार्क्स-लेनिन क्रीम को पोत देने को आमादा हैं। कांग्रेसी गांधी क्रीम को लेकर तैयार हैं। और एक और हैं नए आपिए...जिनके पास केजरी क्रीम है। इस "मेरा वाला क्रीम" विचारधारा ने आलोचना के लिए कोई गुंजाइश छोड़ी नहीं है। मजाल क्या है आप बोलिए। साहेब को बोलेंगे विकासविरोधी कहते आपको भकोट (नोच लेने का और बेहतरीन तरीका, थोड़ा एडवांस वर्जन) लिया जाएगा। लेटेस्ट गांधी वर्जन पर सवाल खड़े करेंगे तो सांप्रदायिकता के गड्ढे में ढकेल कर मिट्टी से पाट देने की भरसक कोशिश होगी। वाममार्गी तांत्रिकों से पूछेंगे बिसलरी में पानी क्यों पीते हो, ब्रांडेड कपड़े क्यों पहनते हो, अंग्रेजी में क्यों लबलबाते हो तो...चमक कर खाल में भूसा भर, टांग देने को दौड़ पड़ेंगे। और आपी प्रजाति की तो पूछिए मत क्रांति का तो नहीं मालूम पर भ्रांति यहीं से आएगी इसमें कहीं तो राय नहीं। जनपथ के पचहत्तर रूपए का स्वेटर, 15 रूपए का मफलर लीजिए और बन जाइए आपी। थोड़ी भाषा बदलनी होगी, मसलन, "वो चोर है, फलाना हलकट है, ढेमाका बड़ा भ्रष्टाचारी है, उसका तो पूछो मत एक नंबर का सांप्रदायिक हैं, लुच्चा है " वगैरह वगैरह। हर तरह के सर्टिफिकेट केजरी जी तुरंत साइन कर बांट देते हैं गोया भंडारे की पर्ची बांट रहे हों।
जब आप एक रंग चढ़ाने का सोचते हैं तो वहीं आप कम्यूनल हो जाते हैं। मेरा वाला क्रीम बस और कोई रंग नहीं। ये तो चलेगा नहीं भाई। ये दरअसल "मेरा वाला क्रीम विचारधारा" है। आप हमारे जैसे नहीं, हमारा ही बोलिए। वही रंग लगाइए और सारे घर को बदल डालिए। एक अनुज मित्र ने बड़ा मासूम सा सवाल किया जब सबको गाली दें तो चुने किसको? अव्वल तो ये कि, गाली नेताओं के लिए और उनके कार्यकर्ताओं और झंडाबरदारों के लिए रहने दीजिए। आलोचना की गुंजाइश रखिए। चुनना इनमें से ही है तो चुनिए। जो आपको बेहतर लगे। काम न करे तो अगली दफा मत चुनिए। ऐसा तो है नहीं कि बेगारी लिखवा ली आपने परिवार के लिए। क्रॉप रोटेशन ज़रूरी है भाई तभी लोकतंत्र की ज़मीन फर्टाइल रहेगी।

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