Monday, November 24, 2014

खुलासे ही खुलासे


त्यौहार का मौसम है नया माल गिरा है। गद्दे ही गद्दे, चादरें ही चादरें, पर्दे ही पर्दे की तर्ज़ पर (दिल्ली वाले इस तरह की बाजारू टैग लाइन को ज्यादा समझते हैं) अब चल रहा है खुलासे ही खुलासे। धकाधक माल बिक रहा है। बुकिंग शुकिंग का चक्कर नहीं है आओ और पाओ वाला हिसाब है। केजरीवाल फैक्ट्री का माल है एक दम टकाटक। जो पसंद आए ले लो...खुर्शीदवाला माल ज्यादा बिका...बिक ही रहा था कि एक और ‘इक्जाई’ माल गिर गया वाड्रा का। भीड़ वहां भागी मोलभाव कुछ भी नहीं है फिक्स दाम। ‘सब धान बाइस पसेरी।‘ जो चाहो उठा लो। क्रेडिट कार्ड नहीं चलेगा...कैश दो थइला में ठूंसो और बढ़ लो। वाड्रा की डिमांड थी...इस बीच कटपीस आ गया...अशोक खेमका का...वो भी बिका है पर उतना नहीं। खेमका माल था ज़बरदस्त लेकिन पता नहीं क्यों नहीं बिका। अब गडकरी माल आया है। वाह क्या माल है आते ही छा गया। पर क्वालिटी वैसी नहीं है जैसी खुर्शीद और वाड्रा माल की थी। खुर्शीद वाला तो मलाई था। एकदम खालिस जर्रर से गिरनेवाला। कैप्टन कुक नमक की तरह।

जनता भाग रही है। भीड़ कभी इस दुकान तो कभी उस दुकान हबुआई हुई है। खुर्शीद जी दबंग सलमान हो गए बोले- ‘इतना हमारा प्रोडक्शन थोड़े ही है’। बेनीप्रसाद ने भी हामी भरी- ‘भईया और फैक्ट्रियों को भी देखो। कहां छोटी मोटी फैक्ट्री में पड़े हो।‘
ऑफ द रिकॉर्ड बातें हो रही हैं। कानून मंत्री कानूनी और अकानूनी तरीके से डीलर केजरीवाल को हड़का रहे हैं। कहते हैं माल हमारा बेच रहे हो ब्रांडिग तुम्हारी हो रही है। ये गलत है आओ फर्रुखाबाद और फिर लौटकर दिखाओ। न जाने क्यों ये डायलॉग कहीं और भी सुना सा जान पड़ता है। किसी धार्मिक ग्रंथ में अरे हां याद आया जब हनुमान जी उड़े थे लंका यात्रा के लिए तो रास्ते में सुरसा नाम की एक राक्षसी मिली थी। उसने कहा था मुंह में आओ और निकल कर दिखाओ निकल गए तो ठीक न निकले तो? तब क्या…? कुछ नहीं हो गया हैप्पी बड्डे।

इलेक्ट्रानिक मीडिया का काम सराहनीय भी है और कराहनीय भी। धकाधक न्यूज़ आ रही है। खुलासे ही खुलासे। सुबह-दोपहर खुलासा रात में राष्ट्र की अधोगति से चिंतिंत पत्रकार। ताबतोड़ चले आ रहे हैं। यही मौका है राष्ट्र के नाम संदेश हम भी दे दें फिर मौका मिले न मिले। बाल की खाल निकालने के लिए कई तरह के औजार हैं साथ में। कुछ एक तो परमानेंट एंकर को गिफ्ट भी कर चुके हैं। देखो हम ने आएं तो इससे निकालना ये वाला इस्तेमाल किया हुआ है बेहतरीन खाल निकालता है। हम थोड़ा बिजी रहेंगे उस वक्त। जैसे ही फ्री हुए तुम्हारे यहां गिर जाएंगे। तब तक इसका इस्तेमाल करना। एंकर मेकअप ज्यादा लेता है। पर बाल बिखरे रखता है। फील आना चाहिए राष्ट्रीय हड़कंप का। चर्चा बगैर खर्चा चल रही है। नेता आए हैं जिनकावाला माल गिरा है वो भी और वो भी जो फैक्ट्री को ब्लैकलिस्ट कराने के चक्कर में हैं। और केजरीवाल ब्रांड वाले भी हैं। खतो-किताबत के हिसाब-किताब के साथ। वरिष्ठ पत्रकार भी बुलाए गए हैं। पर वरिष्ठ पत्रकारों बोलने की इजाज़त नहीं है। वो तभी बोलेंगे जब नेता न पहुंचे हों। जब आपके हाथ से तर्क छूटने लगे। या हुंकारी भरवानी हो। इसमें थोड़ा बोलने की इजाज़त है ज्यादा नहीं...फुटेज मत खाइए प्लीज़। बस इतने से संतोष करिए की हम चार कॉलम की आपकी गच्च तस्वीर स्क्रीन पर साट दिए हैं पर्मानेंटली। और कुछ पुछुंगा तो हमारी ओर ही बैठिएगा।

महंगाई गुम हो गई। पेट्रोल का दाम घटा फिर बढ़नेवाला है। गडकरीवाला माल सैफ-करीना की शादी के एक दिन बाद गिरा है। एक दिन पहले तक बाज़ार में सैफ-करीना की शादी की चर्चा थी। एक राष्ट्रीय चैनल सैफ-करीना की शादी को खारिज करवाने पर तुला था एक विंडो में से ‘पंडी जी’ झांक रहे थे तो दूसरी तरफ से ‘मौलवी’। तीसरी खिड़की में बार-बार बीस सेकेंड का शॉट चकरिया रहा था। एक महिला था गाड़ी से उतरती थीं और अटक जातीं थीं। फिर वही...फिर वही। और मुल्ला-पंडित भी वही बतिया बार-बार कह रहे थे। वही फिर वही...।

एंकर परेशान एक घंटा गलथेथरई करनी है करे क्या। भला हो मेकअप का चेहरे का उड़ा रंग भी छुपा लेता है। रिपोर्ट चल रही है सैफ-करीना की शादी का मैन्यू चैनल बता रहा है। शाही कबाब, टिंडा कबाब, पिस्ता-बादाम की खीर...वगैरह वगैरह। थैंक्स टू गूगल गुरू। फोटो सारी मिल गईं व्यंजनों की। वैसे प्रोड्यूसर ने इसमें कुछ अपना भी आइटम डाला है। लाख कोशिश कर ली चैनल ने, मौलवी साहब गुर्राते रहे ‘हराम-हराम’ पंडी जी कहते रहे हैं- ‘राहु की महादशा है शनि की दृष्टि है शादी टूट जाएगी मत करो...।’ लेकिन कमबख्त सुने कोई तब तो। शादी हो गई। खैर चैनल ने तो अपना पत्रकार धर्म निभाया। टीआरपी के जानकार कृष्ण हैं कहते हैं कर्म करो फल की चिंता मत करो। टीआरपी न आए तो फिर जिसको धरना हो...धरो।

तारीख डकाते-डकाते केजरीवाल नया माल गिराने की तारीख 17 मुकर्रर कर पाए। नहीं...। सोलह को तो स्लॉट ही नहीं था। सब बेगानी शादी में अब्दुल्ला बने बैठे थे। अब आइए। दो-दो हाथ हो जाए। अच्छा ये बताइए माल अच्छा है न? बिकेगा तो? वैसे आजकल भ्रष्टाचारवाले माल की डिमांड है मार्केट में। बिकेगा खूब बिकेगा।

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