Monday, November 17, 2014

कुछ दृश्य...

दृश्य 1.
बस खचाखच है। पसीना गमक रहा है। बस की फर्श पर मूंगफली के छिलकों की नर्म कालीन बिछी है। चचा अभी चढ़े हैं। अतर की खुशबू लिए उन्होने खुद को ठूंसा है। बुरक़े में बेगम लस्त है। "एही बस में चलियो???"- "हां तो आउर का?"... "दुसरकी बस दू घंटा बाद अइए...।"... "आगे बढ़ो-आगे बढ़ो कर" पान गुलाए दबंग टाइप फूहड़ कंडक्टर चिल्लाता है। बनारस से गाज़ीपुर की ये यात्रा दुर्गम है।
अबे क्योटो के ख्वाब पर जल्दी चिकोटी काटो। जो खिड़की के पास बइठा है वो शीशे से चिपक चुका है। जो ड्राइवर के पास आगे खड़ा है वो ड्राइवर के एक ब्रेक पर सामने का शीशा फोड़ जान न्यौछावर करने पर तुला है। सब चल रहे हैं। किसी ने कहा- "अरे बढाओ अब केतना पब्लिक भरोगे?" जवाब आया- "जब तक सांस लेने के लिए तुम्हारा पेट जगह लेता रहेगा।"
झुर्री यादौ अभी पीतल की परात लेकर चढ़े हैं। उनकी परात ने कई लोगों की गर्दन आजमाई है। जिन लोगों ने आपत्ति की उसको झुर्री ने चेता दिया है सपा सरकार अपना काम कर रही है सीमा में रहें। जो लोग क्रांतिकारी थे उनकी क्रांति दमघोंटू माहौल और सियासी तस्वीर में घुल गई है। बनारस टू गाज़ीपुर का सफ़र बॉबे टू गोवा वाला नहीं है...। बस निकलपड़ी है...हचक-हचक कर चल रही है। इधर बस लोगों को लचका रही है उधर टनटनाता बाजा गा रहा है "कमरिया करे लापालप..."
दृश्य 2.
घाट लकलक हैं। गंदगी यहां नहीं दिख रही। रंग बिरंगे झंडे दिख रहे हैं। पंडे त्रिपुंड लगाए बैठे हैं। गलचउर जारी है। पन्नालाल पान लपेट रहे हैं। भइयालाल खिखिया रहे हैं। रामदरस कान पर जनेउ चढ़ाए सर-सर सीढ़ी चढ़ रहे हैं। इसबार किसी भी शंका का निवारण करने के लिए घाट पर जगह नहीं, 'बम पुलिस' (सुलभ शौचालय) ही अंतिम सहारा है। पतालू लुंगी-लंगोट त्याग चुके हैं। स्याह शरीर अब 'कपरी' (कैप्री) के हवाले है। पतालू घाट के गाइड कम नाविक कम फोटोग्राफर हैं। अंग्रेजी जापानी और जर्मन आपको सिद्ध है। मल्टीटैलेंट का ज़माना है। लुंगी क्यों त्यागी? पूछने पर मचल के कहते हैं कोटो (क्योटो) में के लुंगी पहिनला ? (क्योटो में कौन लुंगी पहनता है)...एक समय था जब पतालू से किसी अंग्रेज ने घाट पर जमा गंदे पानी की ओर इशारा करते पूछा था व्हाट इज़ दिस? तो पतालु ने जवाब दिया था- "दिस इज एनदर गंगा छलक के कम फ्राम दैट साइड"। अब न गंदगी है न छलकी गंगा...हां गंगा में सारी गंदगी अभी भी है। पतालू के बेटे पुदीना से पूछा - क्या बेटा काशी चाहिए या क्वेटो...? पुदीना ने इतराके कहा - क्वेटो!!!!!

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